Powerless and Precarious: Struggles of Surat’s Powerloom Workers
Written by Niveditha GD and Anuraag Srinivasan. Click here to read the full article.
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मुंबई जहाँ हमेशा काम ठीक-ठाक चलता था लेकिन अभी काम की स्थिति इतनी अधिक ख़राब हो गयी कि वर्कर को महीने में 10 से 15 दिन ही काम मिल रहा है, उसमे भी उनको काफी कम रेट पर काम करना पड़ रहा है. बाजार में आयी मंदी को समझने के लिए दिहाड़ी मजदूरों से बात की, वहीं उनके नज़रिये से काम में आयी मंदी को जानने की कोशिश की। समीर (नाम बदल दिया हैं) मुंबई में निर्माण कार्य में मिस्त्री का काम करते हैं. समीर बिहार के जमुई के रहने वाले हैं. उनको मुंबई में काम करते हुए 20 साल हो गए हैं. समीर ने बताया “कोरोना के बाद से काम बिलकुल ठंडा है. लॉकडाउन ने सभी की कमर तोड़ दी. हम जैसे गरीब आदमी पर तो दोहरी मार पड़ी है, एक तो काम नहीं, दूसरी मंहगाई अलग, अब बताओ गरीब आदमी क्या खाये, बस दाल रोटी चल रही इतना बहुत है. समीर ने बताया, नाके की हालत यह हो गयी है, अब सिर्फ 50 प्रतिशत लोगों को ही काम मिल रहा है. इसके बाद पैसा भी कम मिल रहा है. फ़रवरी तक यह काम ऐसे ही रहेगा, उसके बाद थोड़ा चलेगा, लेकिन मई, जून, जुलाई में भरपूर काम होता है”.